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आज पोला का पर्व उत्साह पूर्वक मनाया जा रहा है।

पोला महाराष्ट्र के प्रमुख त्योहारो मे से एक है। यह पर्व पूरे देश मे मनाया जाता है। परंतु महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य मे पोला का पर्व विशेष रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है। भाद्रपद मास की अमावस तिथि को यह त्योहार आता है। इसे कुश ग्रहणी अमावसया भी कहा जाता है। इस वर्ष पोला का त्योहार दो सितंबर 2024 सोमवार को है। सोमवार को अमावस होने से इसे सोमवती अमावस भी कहते है। महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ मे इस दिन बैलो की पूजा की जाती है। इस बैलों को विशेष रूप सजाया जाता है। महाराष्ट्र मे इसे पोला पिठोरा भी कहा जाता है। प्राचीन कथाओ अनुसार द्वापर युग मे भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंश ने बहुत प्रयास किये। तब कंश ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए पोलासुर नामक राक्षस को भेजा था।पोलासुर ने बैल का रूप धारण कर पशुओ के झुंड मे शामिल हो कर श्रीकृष्ण को मारने पहुंच गया। श्रीकृष्ण ने पशुओ के बीच मे पोलासुर को पहचान लिया। श्रीकृष्ण ने पोलासुर के साथ युद्ध कर उसे मार गिराया। मान्यतानुसार तब से पोला का यह पर्व मनाया जाने लगा। इस दिन बैलो को सजाया जाता है। सभी एक जगह पर एकत्रित होकर बैलों को लेकर जुलुस निकाला जाता है। महाराष्ट्र मे इसे पोला पिठोरा भी कहा जाता है। बच्चे इस दिन लकड़ी से बने बैलो को सजाकर घर घर घूमते है। महाराष्ट्र मे पोला के दूसरे दिन को तानहा पोला कहते है।

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